देश में पारदर्शी प्रशासन देने और आम आदमी को सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में जानने और सूचना पाने का अधिकार देने के लिए करीब बारह साल पहले संसद ने 'सूचना का अधिकार' कानून पारित किया था, उसकी क्रियान्विति इन दिनों बुरे दौर से गुजर रही है. आज हालात ऐसे हैं कि 'सूचना का अधिकार' कानून के अंतर्गत बार-बार सूचनाएं माँगने पर भी सरकारी विभागों से सूचनाएं नहीं मिल पाती हैं या संबंधित अधिकारी आधी-अधूरी सूचनाएं दे देते हैं. राज्यों के सूचना आयोगों में पर्याप्त संख्या में कर्मचारी नहीं हैं और राज्य सरकारें इस कानून की क्रियान्विति के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं करती हैं.
'सूचना का अधिकार' कानून एक बहुत बड़ी पहल थी. इस कानून के लागू होने के बाद अनेक अनियमितताएं और भ्रष्टाचार उजागर हुए.
इस कानून की पालना आज चिंता की बात है. इस सम्बन्ध में जरूरी है कि इस कानून की पालना के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराएं जाए, ताकि प्रशासन पारदर्शी और संवेदनशील बन सके.
- केशव राम सिंघल
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