सूचना के अधिकार के जन आंदोलन की कहानी 'The RTI Story: Power to the People' नामक पुस्तक का विमोचन ब्यावर के चांग गेट कुमारानन्द सर्किल पर दिनांक 6 अप्रेल 2018 को संपन्न हुआ. मजदूर किसान शक्ति संगठन और रोली बुक्स द्वारा आयोजित विमोचन समारोह में मैग्सेसे पुरस्कार विजेता और मजदूर किसान शक्ति संगठन की श्रीमती अरुणा रॉय द्वारा लिखित पुस्तक 'The RTI Story: Power to the People' का विमोचन हुआ. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दैनिक नवज्योति के प्रधान सम्पादक दीनबंधु चौधरी थे. कार्यक्रम में निखिल डे और रोली बुक्स की एडिटर इन चीफ प्रिया समारोह में अतिथि थे. कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि चौधरी ने कहा कि अरुणा रॉय ने आम जन के साथ मिलकर जो संघर्ष किया वो काबिले तारीफ़ है. इस संघर्ष की वजह से ही देश को आरटीआई जैसा मजबूत कानून मिला. ऐसा आंदोलन करना और कानून बनवाना निश्चित रूप से मुश्किल काम था. आरटीआई सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार का खात्मा कर गैर कानूनी आय के स्रोतों पर अंकुश लगाता है. आरटीआई का ही डर है कि अधिकारी घोटाले करने और कोई भी गलत काम करने से कतराने लगे हैं. मुख्य अतिथि ने कहा कि आरटीआई कानून तो बन गया है लेकिन उसमें सुधार के लिए अभी भी एक आंदोलन की जरुरत है. आरटीआई आंदोलन की जनक अरुणा रॉय ने कहा कि यह पुस्तक उनके द्वारा नहीं लिखी गयी है. वह लेखक नहीं, केवल संकलकर्ता हैं. उन्होंने कहा कि ब्यावरवासियों सहित मजदूर किसान शक्ति संगठन से जुड़े अनेक लोगों ने आंदोलन के समय और आंदोलन के बाद भी पूरा सहयोग प्रदान किया. समारोह में वक्ताओं ने कहा कि यह वह पुस्तक है जो आने वाली पीढ़ी को आंदोलन की जानकारी देगी और उनका मार्गदर्शन करेगी. कार्यक्रम में आंदोलन से जुड़े अजमेर से डीे एल त्रिपाठी, ओ. पी. रे, मजदूर किसान शक्ति संगठन के शंकरसिंह, नौरती, ग्यारसी, ओम महावर, रामप्रसाद कुमावत, अशोक सेन, आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे.
इस पुस्तक को लिखने में कई साल लगे. यह पुस्तक ऐतिहासिक जानकारी से भरपूर है. पुराने दस्तावेजों अभिलेखों को व्यवस्थित करना, धूल भरी सामग्री के ढेर में से जरूरी दस्तावेजों को ढूंढना, पुराने विडियो और फोटो को खंगालना, यह एक बड़ा काम था. यह पुस्तक नागरिकों और राज्य के बीच सत्ता परिवर्तन के लिये कानून लाने की लोगों की एक लंबी लड़ाई की कहानी है. साझे संघर्ष को रेखांकित करने के लिये यह पुस्तक एक प्रयास है. यह पुस्तक सूचना के अधिकार संघर्ष के इतिहास की जानकारी प्रदान करती है. सूचना के अधिकार के भविष्य के चिंतन के लिए यह पुस्तक एक सन्दर्भ ग्रन्थ है.
पुस्तक के विमोचन से पूर्व मजदूर किसान शक्ति संगठन द्वारा एक जन-चेतना रैली ब्यावर के मुख्य बाजारों से निकाली गयी. अपने उद्बोधन में श्रीमती अरुणा रॉय ने उनसे जुड़े और ब्यावर शहर के सभी नागरिकों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने सूचना के अधिकार आंदोलन को सफल बनाने में अपना सहयोग दिया.
सूचना के अधिकार से सम्बंधित आंदोलन एक ऐसा अभियान रहा जो समय के साथ एक बहुत ही शानदार जीवंत जन-आंदोलन के रूप में विकसित हुआ.
रोली बुक्स द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक अंग्रेजी में है और शीघ्र इसका हिंदी संस्करण भी प्रकाशित होगा.
अंग्रेजी में लिखी पुस्तक पर अधिक जानकारी के लिए कृपया रोली बुक्स की वेबसाईट पर इस लिंक को क्लिक करें.
- केशव राम सिंघल