Tuesday, October 13, 2015

सूचना के अधिकार पर एक विशेष कार्यक्रम




- केशव राम सिंघल

सूचना के अधिकार लागू होने के एक दशक पूर्ण होने के अवसर पर पीयूसीएल के तत्वावधान में एक विशेष कार्यक्रम 13 अक्टूबर 2015 को दुपहर दो बजे सोफिया कॉलेज अजमेर में आयोजित किया गया, जिसमे मुख्य वक्ता पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त श्री वज़ाहत हबीबुल्ला एवं एमकेएसएस की श्रीमती अरुणा रॉय थी. कार्यक्रम का संचालन सोफ़िया कालेज की प्राध्यापिकाओ और छात्राओं द्वारा किया गया. सोफ़िया कॉलेज की उप प्राचार्या सिस्टर पर्ल ने अतिथियों का स्वागत किया.

श्रीमती अरुणा रॉय ने सूचना के अधिकार के ऐतिहासिक पहलूओं और इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि यह गौरव की बात है कि सूचना के अधिकार कानून की बुनियाद अजमेर में रखी गई थी, इसी जिले से इस कानून की माँग का संघर्ष प्रारंभ हुआ था. यह कानून आज देश का सबसे चर्चित कानून है. उन्होंने छात्राओं से कहा कि 'हमारा पैसा हमारा हिसाब' के आधार पर जनता ही सरकारी धन की मालिक है. उन्होंने देश में 44 व्हिसल ब्लोअर्स की हत्या को शर्मनाक बताते हुए व्हिसल ब्लोअर्स की सुरक्षा के लिए सशक्त कानून बनाए जाने की आवश्यकता बताई. साथ ही उन्होंने बढ़ते निजीकरण, हिंसा और सांप्रदायिक उन्माद से सचेत रहने का आव्हान किया.

राधिका गणेशन ने चेतना गीत 'ये देश हमारे आप का' प्रस्तुत कर एक नए जोश का भाव पैदा किया. हरमाडा पंचायत की पूर्व सरपंच नौरती देवी ने अपने अनुभव साझा किए तथा हर स्तर पर जागरूक रहने की आवश्यकता बताई.

पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त श्री वज़ाहत हबीबुल्ला ने सूचना के अधिकार अधिनियम की कुछ धाराओं को स्पष्टता से समझाया और कहा कि प्रजातंत्र में सूचना का अधिकार बहुत जरूरी है. यह सुशासन का एक माध्यम है. यह प्रजातंत्र में पब्लिक पार्टिर्सिपेशन को बढ़ावा देता है. यह काम में पारदर्शिता लाकर काम को आसान करता है. उन्होंने कहा कि सूचना के अधिकार से प्रशासनिक कार्यप्रणाली में सुधार, सशक्तता व जवाबदेही सुदृड़ हुई है. साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ लोग इस कानून को प्रशासनिक कार्यों में बाधा मानते हैं, वे अपने ग़लत मनसूबे पूरे नहीं होने या लापरवाही उजागर होने के कारण दु:खी हैं. लोकतंत्र की बुनियाद प्रशासनिक पारदर्शिता पर टिकी है. इस अधिकार से जनता को अपना वास्तविक हक मिला है.

कार्यक्रम में पीयूसीएल राज्य उपाध्यक्ष डी. एल. त्रिपाठी ने भी अपने विचार रखे. दैंनिक नवज्योति के प्रधान संपादक दीनबंधु चौधरी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि सरकारी पालिसी में जनता की सहभागिता आवश्यक है.

कार्यक्रम में निखिल डे, पीयूसीएल राज्य महासचिव डा. अनंत भटनागर, पीयूसीएल अजमेर अध्यक्ष ओ. पी. रे, पीयूसीएल अजमेर सचिव कैरोल गीता, राज कुमार नाहर, कालिंद नंदिनी शर्मा, प्रिंस सलीम, केशव राम सिंघल आदि नागरिक भी उपस्थित थे. कार्यक्रम के दौरान श्रोता छात्राओं ने प्रश्न पूछें. जिनका समाधान मुख्य वक्ताओं ने किया. कार्यक्रम के संचालन में इतिहास विभाग की प्रवक्ता आदिला ने अपनी सहभागिता निभाई.

कार्यक्रम के आयोजन के लिए पीयूसीएल के पदाधिकारियों को धन्यवाद और बधाई.