Wednesday, November 22, 2017

CIC has declared IBA as Public Authority under RTI Act, 2005


CIC has declared IBA as Public Authority under RTI Act, 2005

Central Information Commissioner (CIC) has declared Indian Banks’ Association (IBA) as Public Authority under RTI Act, 2005. IBA has been asked to appoint CPIO under the act within 30 days. Indian Banks' Association is public authority under RTI, rules Full Bench of CIC.
In a landmark decision, a Full Bench of the Central Information Commission (CIC) has declared Indian Banks' Association (IBA) as public authority under the Right to Information (RTI) Act. Asking the IBA to appoint a public information officer (PIO), the CIC has directed the Association to provide desired information to the applicant within 30 days.

The Commission was hearing case of RK Jain and Ita Bose against IBA, an association of Indian banks and financial institutions. Citing Section 2(h) of the RTI Act, the IBA had refused to provide information stating that it is not a public authority. Earlier on 20 October 2017, M Sridhar Acharyulu, Central Information Commissioner, had declared IBA as public authority.

The CIC observed that IBA performs important role in decision making process of banking industry.

It is a very good decision that will provide rights to citizens to get information from IBA under the RTI Act.

- Keshav Ram Singhal



Monday, November 6, 2017

'सूचना का अधिकार' कानून का कार्यान्वयन


'सूचना का अधिकार' कानून का कार्यान्वयन


देश में पारदर्शी प्रशासन देने और आम आदमी को सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में जानने और सूचना पाने का अधिकार देने के लिए करीब बारह साल पहले संसद ने 'सूचना का अधिकार' कानून पारित किया था, उसकी क्रियान्विति इन दिनों बुरे दौर से गुजर रही है. आज हालात ऐसे हैं कि 'सूचना का अधिकार' कानून के अंतर्गत बार-बार सूचनाएं माँगने पर भी सरकारी विभागों से सूचनाएं नहीं मिल पाती हैं या संबंधित अधिकारी आधी-अधूरी सूचनाएं दे देते हैं. राज्यों के सूचना आयोगों में पर्याप्त संख्या में कर्मचारी नहीं हैं और राज्य सरकारें इस कानून की क्रियान्विति के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं करती हैं.



'सूचना का अधिकार' कानून एक बहुत बड़ी पहल थी. इस कानून के लागू होने के बाद अनेक अनियमितताएं और भ्रष्टाचार उजागर हुए.

इस कानून की पालना आज चिंता की बात है. इस सम्बन्ध में जरूरी है कि इस कानून की पालना के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराएं जाए, ताकि प्रशासन पारदर्शी और संवेदनशील बन सके.

- केशव राम सिंघल